Wireless चार्जिंग के बारे में




Vipeenchandrapal---Wireless चार्जिंग आईफोन 8, आईफोन 8 प्लस, आईफोन X, सैमसंग गैलक्सी S8, गैलेक्सी S7, नोट 8 में आने के बाद ज्यादा पॉपुलर हो गई है. लेकिन इस नई टेक्नोलॉजी के स्मार्टफोन्स में आने के बाद कई लोगों के मन में सवाल उठे होंगे की आखिर Wireless चार्जिंग है क्या और इसका इस्तेमाल कैसे होता है?


अधिकतर Wireless चार्जर मैग्नेटिक इंडक्शन का इस्तेमाल करते हैं. इसके अंतर्गत यूजर्स को डिवाइस चार्ज करने के लिए किसी वायर की जरुरत नहीं होती. डिवाइस को चार्जर पर रखते ही चर्जिंग शुरू हो जाती है.


आइये आपको बताते है कि Wireless चार्जिंग कैसे काम करता है..

हर मोबाइल कंपनी अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए Wireless चार्जिंग जैसे आप्शन दे रही है. इस भीड़ में एप्पल, सैमसंग, जैसी और भी कंपनी है. ये कंपनियां क्यू 1 वायरलेस चार्जिंग का फीचर दे रही है. इसमें मैग्नेटिक इंडकशन और मैग्नेटिक रिजोनेन्स काम में लिया जाता है. इसमें वायरलेस चार्जिंग में भी वायर होता है. लेकिन वो फ़ोन से कनेक्ट नहीं होता है. कहा जाता है कि आपको अपने फ़ोन के पीछे राईट स्पॉट लगाना होता है. इस राईट स्पॉट पर ये चार्जर काम करता है.


ये कैसे काम करता है…

इसमें 2 प्लेट्स के बीच पॉवर सिग्नल्स ट्रांसमिट करने के लिए मैग्नेटिक इंडकशन और मैग्नेटिक रिजोनेन्स का यूज़ किया जाता है. इस डिवाइस में बिना एक-दूसरे को टच करे करंट भेजने का काम होता है. चार्जर को पॉवर सप्लाई में प्लग किया जाता हैं. इसमें एक ट्रांसमीटर कॉइल होती है.
जब करंट सप्लाई करना होता है, तो बेस स्टेशन करंट भेजता है. अगर रिसीवर कॉइल पास में ही होता है. इस तरह सिग्नल बदलते है और चार्जिंग होती है. बैटरी कॉइल से कनेक्टेड होती है. क्यू1 की तरह पावरमेट और रिजोनेन्स भी ऐसे ही वायरलेस चार्जिंग स्टैंडर्ड हैं. ये भी इसी तरह काम करते हैं. क्यू1 इनेबल्ड फोन पावरमेट बेस पर सिग्नल वेरिएशन के कारण धीरे चार्ज होते हैं.

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